केरल में जंगली भैंसों के हमले में दो की मौत
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चाकोचेन के बगल में रहने वाले उनके दोस्त थॉमस पर भी भैंस ने हमला किया था, और कोट्टायम मेडिकल कॉलेज अस्पताल में उन्होंने दम तोड़ दिया।
हमले और मौतों से आक्रोशित, स्थानीय लोग बड़ी संख्या में इकट्ठे हुए और इस खतरे से निपटने में वन अधिकारियों पर लापरवाही का आरोप लगाया।
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गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने मुख्य सड़क पर जाम लगा दिया।
एक नाराज स्थानीय शख्स ने कहा, जिस तरह कस्बों और शहरों में लोग शांति से रहते हैं, हमें भी शांति से जीने का अधिकार है। हमारे पूर्वज यह सुनिश्चित करते थे कि जंगली जानवरों के लिए पर्याप्त भोजन हो, ऐसी व्यवस्था अब नहीं है और इसलिए जंगली जानवर भटककर मानव बस्तियों में आ जाते हैं।
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क्षेत्र के कांग्रेस सांसद एंटो एंटनी ने कहा, दुखद स्थिति है, क्योंकि अधिकारियों द्वारा वास्तविक समस्याओं के लिए कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
एंटनी ने कहा, दो जिंदगियां चली गईं और अगर इंसानों की जान की कोई कीमत नहीं है, तो सरकार का क्या फायदा? इस खतरे से निपटने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए और जंगली जानवर को गोली मार देनी चाहिए।
संयोग से, त्रिशूर में एक ऐसी ही घटना की सूचना मिली थी, जब एक जंगली भैंस एक क्षेत्र में भटक गई थी, लेकिन कोई अप्रिय घटना नहीं हुई, क्योंकि जंगली भैंस को खदेड़ दिया गया था।
हाल ही में केरल में मानव-पशु संघर्ष, विशेष रूप से जंगलों की सीमा से लगे क्षेत्रों में, बढ़ गया है, और स्थानीय लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया है।
--आईएएनएस
सीबीटी