केएमपी एक्सप्रेस वे : सुविधाओं के लिए बना, लेकिन असुविधाओं से भरा है एक्सप्रेस वे

नई दिल्ली, 11 सितंबर (आईएएनएस)। वेस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस वे (कुंडली - मानेसर - पलवल एक्सप्रेसवे) एक्सप्रेसवे 135.6 किलोमीटर लंबा है और छह लेन का है। ये एक्सप्रेस वे सोनीपत, खरखोदा, बहादुरगढ़, बादली, झज्जर, मानेसर, नूह, सोहना, हथीन और पलवल को जोड़ता है। सबसे पहले इस वेस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे के बारे में एक प्लान 2003 में तैयार किया गया और 2006 में हरियाणा सरकार ने इसको बनाना शुरू किया और ये तय किया गया की आने वाले समय में ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे के साथ जोड़ा जाएगा और इसकी लंबाई 135.6 किलोमीटर होगी।
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केएमपी एक्सप्रेस वे : सुविधाओं के लिए बना, लेकिन असुविधाओं से भरा है एक्सप्रेस वे नई दिल्ली, 11 सितंबर (आईएएनएस)। वेस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस वे (कुंडली - मानेसर - पलवल एक्सप्रेसवे) एक्सप्रेसवे 135.6 किलोमीटर लंबा है और छह लेन का है। ये एक्सप्रेस वे सोनीपत, खरखोदा, बहादुरगढ़, बादली, झज्जर, मानेसर, नूह, सोहना, हथीन और पलवल को जोड़ता है। सबसे पहले इस वेस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे के बारे में एक प्लान 2003 में तैयार किया गया और 2006 में हरियाणा सरकार ने इसको बनाना शुरू किया और ये तय किया गया की आने वाले समय में ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे के साथ जोड़ा जाएगा और इसकी लंबाई 135.6 किलोमीटर होगी।

इस एक्सप्रेस-वे को बनाने में लेकर हुई देरी का खामियाजा हरियाणा सरकार को भुगतना पड़ा था। वह खामियाजा भी इतना बड़ा था की सरकार पर इस एक्सप्रेस-वे को लेकर हुई देरी के चलते 1300 सौ करोड़ का जुर्माना लगाया गया था। जिसके बाद 2016 में सुप्रीम कोर्ट के इस मामले में पड़ने के बाद इसे फिर से पूरा करने के आदेश दिए गए और चार लेन से छह लेन का बनाने के लिए आदेश दिए गए। केएमपी एक्सप्रेस वे को बनाने में लगभग 9000 करोड रुपए का खर्च आया है। जिसमें से इसकी लागत 6400 करोड़ और जमीन का अधिग्रहण 2988 करोड़ रुपए लागत आई है।

एक्सप्रेस वे का एक्सेस नेशनल हाईवे 1 कुंडली - सोनीपत, नेशनल हाईवे 2 पलवल तक का होगा और इस एक्सप्रेस-वे के बनने के बाद सबसे ज्यादा फायदा दिल्ली और आसपास के इलाके के लोगों को होने वाला था। क्योंकि ज्यादातर गाड़ियों का दबाव दिल्ली के अंदरूनी इलाकों से शिफ्ट होकर इस एक्सप्रेस वे पर चला जाता। जिनमें बड़े वाहनों की संख्या सबसे ज्यादा थी। इससे न सिर्फ दिल्ली पर अतिरिक्त वाहनों का दबाव कम होता बल्कि प्रदूषण से भी दिल्ली वासियों और आसपास के इलाके के लोगों को काफी मुक्ति मिलती लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं।

इस एक्सप्रेस हाईवे के मानेसर से पलवल तक के 53 किलोमीटर का उद्घाटन परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने अप्रैल 2016 में किया था। इसके बाद कुंडली से मानेसर तक के एक्सप्रेस वे (जो कि 83 किलोमीटर लंबा है) का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर 2018 को किया था। दिसंबर 2018 से इस पर टोल सुविधा चालू कर दी गई थी।

इस एक्सप्रेस वे की बात करें तो कुंडली से शुरू होकर 135 किलोमीटर लंबे बने इस एक्सप्रेस वे पर आम लोगों के लिए जन सुविधाओं का पूरी तरीके से अभाव है। सबसे बड़ी बात है कि अगर आप इस एक्सप्रेस-वे पर चढ़ गए और अपने गंतव्य तक पहुंचने के बीच में अगर आपको रेस्ट रूम की जरूरत पड़ती है, तो वह इस पूरे एक्सप्रेस वे पर आपको उपलब्ध नहीं होगा। इस एक्सप्रेस वे पर आम जनता के लिए एक भी शौचालय का निर्माण नहीं कराया गया ना ही कहीं पर किसी तरीके से रुक कर आराम करने या खराब हुई गाड़ी को बनवाने का कोई भी साधन दिखाई देता है। एक्सप्रेस वे से गुजरने वाले वाहन चालक इन जनसुविधाओं के ना होने से सबसे ज्यादा परेशान हैं।

लोगों का मानना है कि अगर परिवार के साथ इस एक्सप्रेस वे पर सफर कर रहे हैं, तो रात छोड़िए दिन में ही इस पर चलना सेफ नहीं है। आम जनता के मुताबिक महिलाओं के साथ इस एक्सप्रेस वे पर सफर करना बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं है। ना ही कहीं कोई जन सुविधा है और ना ही कहीं कोई खाने पीने की व्यवस्था। एक्सप्रेस वे इसलिए बनाया गया था कि यहां पर भारी वाहनों को डाइवर्ट कर दिल्ली के बाहर से ही उन्हें उनके गंतव्य तक पहुंचाया जाए लेकिन इस एक्सप्रेस वे की प्लानिंग में कभी यह नहीं सोचा गया कि अगर उन भारी वाहन चालकों को वहां पर रुकना हुआ जन सुविधाओं का इस्तेमाल करना हुआ तो वह क्या करेंगे और अगर उन्हें अपनी गाड़ियां पाकिर्ंग में लगानी हुई तो वह कहां लगाएंगे यह सारे वह सवाल हैं जब इस एक्सप्रेस-वे को बनाने से पहले नहीं सोचे गए इसीलिए आम जनता के मुताबिक उनके लिए पूरी तरीके से इस एक्सप्रेस वे पर चलना सुरक्षित नहीं है।

इस एक्सप्रेस वे पर सफर करने वाले ज्यादातर बड़ी गाड़ियों को चलाने वाले ड्राइवर और उनके हेल्पर होते हैं। आईएएनएस ने जब इन ड्राइवर से बात की तो पता चला किए ड्राइवर भी इस एक्सप्रेस वे पर गाड़ी लेकर चलने से बचते नजर आते हैं। क्योंकि उनका कहना है कि अगर इस पर कोई दुर्घटना हो जाती है तो पुलिस हेल्प और एंबुलेंस की हेल्प मिलने में घंटों लग जाते हैं। साथ ही साथ गाड़ियों को खड़ा करने की कोई सुरक्षित पार्किं ग भी नहीं है। इसीलिए खराब या एक्सीडेंटल गाड़ियों को इसी एक्सप्रेसवे के रास्तों में खड़ा रखना पड़ता है जिनसे और एक्सीडेंट होने के खतरे बढ़ जाते हैं। रास्ते में मिली एक एक्सीडेंटल गाड़ी के ड्राइवर ने आईएएनएस से बातचीत करते हुए बताया कि वह पिछले 2 दिनों से अपनी गाड़ी लेकर यहीं पर पड़ा हुआ है। ना खाने की सुविधा है ना पीने का पानी है। उसने बताया कि इस एक्सप्रेस वे पर और एक्सप्रेस वे की तरह कोई भी सुविधा मौजूद नहीं है जिसके वजह से यहां पर चल गाड़ी चलाने वाले वाहन चालकों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

केएमपी एक्सप्रेसवे पर जगह जगह पर रोशनी देने वाले खंबे ही नहीं लगाए गए हैं। सबसे बड़ी बात है नूह से लेकर पलवल तक के 50 से 60 किलोमीटर लंबे एक्सप्रेस वे पर एक भी लाइट नहीं लगी है जो साफ तौर पर यहां की अव्यवस्थाओं को दर्शाती है और यह बताती है कि किस तरीके से यहां पर वाहन चालक किन परेशानियों का सामना करते होंगे। दिन के वक्त वाहन चला पाना थोड़ा आसान होता है लेकिन यही रात के वक्त बहुत ज्यादा कठिन हो जाता है और अगर एक्सप्रेसवे पर लाइट की व्यवस्था नहीं है तो एक वाहन चालक को काफी संभलकर एहतियात बरतते हुए अपने वाहन को चलाना पड़ता है और अगर कोई खराबी आ गई या किसी वजह से उसे रुकना पड़ा तो वह उसके लिए एक भयावह मंजर होता है।

इस एक्सप्रेस वे पर चलने वाले लोगों ने साफ तौर पर बताया की मदद के लिए अगर कोई नंबर मिलाया जाता है तो वह काफी देर बाद मिलता है और जगह जगह पर लगे साइन बोर्ड भी मौजूद नहीं है जो उन्हें बता सके कि किस नंबर पर कॉल करने से कौन सी सुविधा मिल सकती है।

--आईएएनएस

पीकेटी/आरएचए

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