अलग गोरखालैंड मुद्दे पर नए सिरे से आंदोलन, 5 फरवरी को दिया जाएगा अंतिम रूप

इससे पहले, जीजेएम प्रमुख गुरुंग आधिकारिक रूप से खुद को और अपनी पार्टी को 2012 के गोरखालैंड टेरिटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन (जीटीए) समझौते से अलग कर लेंगे, जहां उन्होंने केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकारों के साथ हस्ताक्षर किए थे।
उन्होंने मंगलवार को कहा- मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री, अमित शाह, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, केंद्रीय गृह सचिव और राज्य के गृह सचिव को जीटीए समझौते से हटने के अपने फैसले से अवगत कराऊंगा। मैं जीटीए समझौते को तुरंत खत्म करने की भी मांग करूंगा।

तमांग ने मीडियाकर्मियों को बताया कि सोमवार को अलग राज्य पर एक सेमिनार हुआ था, जिसमें गुरुंग और एडवर्डस के अलावा सभी राजनीतिक ताकतों ने भाग लिया था। उन्होंने कहा, सभी इस बात पर सहमत हैं कि अलग गोरखालैंड राज्य पहाड़ी लोगों की जायज मांग है। हम अलग राज्य चाहते हैं। हमने भी इस मांग को लेकर एकजुट होने की जरूरत महसूस की है।

एडवर्डस ने कहा कि जब अलग गोरखालैंड राज्य के लिए प्रारंभिक आंदोलन शुरू हुआ तब वह काफी युवा थे। उन्होंने कहा, हालांकि तब भी मैं अलग गोरखालैंड राज्य को लेकर पहाड़ी लोगों की भावनाओं को महसूस कर सकता था। इसलिए, हम उस मांग के समर्थन में एक साथ आगे बढ़ेंगे।
गुरुंग के मुताबिक, वह अलग गोरखालैंड राज्य की मांग को लेकर जहां तक संभव हो आंदोलन का नेतृत्व करेंगे। उन्होंने कहा, लेकिन मैं आश्वस्त कर सकता हूं कि हमारा आंदोलन शांतिपूर्ण होगा। हमें केंद्र सरकार पर अपना दबाव बनाए रखना होगा क्योंकि अंतत: यह कार्यान्वयन प्राधिकरण होगा। हमारा साझा लक्ष्य अब अलग गोरखालैंड राज्य है।
दार्जिलिंग, कलिम्पोंग और कर्सियांग में पहाड़ी क्षेत्र के अलावा, मैदानी इलाकों में तराई और डुआर्स क्षेत्र के कुछ क्षेत्रों को भी अलग गोरखालैंड राज्य के लिए प्रस्तावित मानचित्र में शामिल किया गया है। दूसरी ओर, पश्चिम बंगाल के ऊर्जा मंत्री अरूप बिस्वास, जो दार्जिलिंग के लिए तृणमूल कांग्रेस के पर्यवेक्षक हैं, उन्होंने कहा कि किसी भी परिस्थिति में राज्य सरकार राज्य के विभाजन को लेकर किसी भी दबाव के आगे नहीं झुकेगी।
--आईएएनएस
केसी/एएनएम