अपने हाल पर रो रहा है बरेली का किला ओवरब्रिज, जानिए क्यों और कैसे हो सकता है बड़ा हादसा, देखें यह खबर…

उखड़ गए एक्सपेंशन ज्वाइंट, रेलिंग भी क्षतिग्रस्त, बड़े बड़े गड्ढों को बड़े हादसे का इंतजार बरेली,न्यूज टुडे नेटवर्क। किला क्रासिंग के पुल से गुजरें तो स्पीड कम कर लें, अन्यथा आपकी कमर की हड्डी खिसक सकती है। पुल पर हुए बेशुमार गड्ढे पूरे शरीर को हिलाकर रख देते हैं। कब गाड़ी किनारे पर आकर नीचे
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अपने हाल पर रो रहा है बरेली का किला ओवरब्रिज, जानिए क्यों और कैसे हो सकता है बड़ा हादसा, देखें यह खबर…

उखड़ गए एक्सपेंशन ज्वाइंट, रेलिंग भी क्षतिग्रस्त, बड़े बड़े गड्ढों को बड़े हादसे का इंतजार

बरेली,न्‍यूज टुडे नेटवर्क।  किला क्रासिंग के पुल से गुजरें तो स्पीड कम कर लें, अन्यथा आपकी कमर की हड्डी खिसक सकती है। पुल पर हुए बेशुमार गड्ढे पूरे शरीर को हिलाकर रख देते हैं। कब गाड़ी किनारे पर आकर नीचे गिर जाए, पता भी नहीं चलेगा। पुल की रेलिंंग भी क्षतिग्रस्त हो चुकी है। पुल बदहाल होने के बावजूद इसकी मरम्मत नहीं कराई जा रही है। पीडब्ल्यूडी ने मरम्मत के लिए एस्टीमेट शासन को भेजा जो अब तक मंजूर ही नहीं हो पाया है। फिलहाल लोग ऐसे ही पुल से निकलते रहेंगे और हड्डियों के दर्द से कराहते रहेंगे।

चार दशक पहले हुआ था पुल का निर्माण

शहर के अंदर किला रेलवे क्रासिंंग के पुल का निर्माण वर्ष 1980 में हुआ था। यह शहर का पहला पुल है। दिल्ली और लखनऊ को शहर से जोडऩे वाला यह अहम पुल है। इसी से होकर तमाम वाहन शहर में आते-जाते हैं। बड़ा बाइपास बनने के बावजूद आज भी शहर के अंदर आने वालों के लिए यह प्रमुख मार्ग है। इस पुल के निर्माण से शहरवासियों को काफी सहूलियत हुई।

दर्द से कराह रहा जर्जर पुल, मरहम नहीं

कई साल पुराना पुल होने के कारण इसकी हालत काफी खराब हो गई है। पुल की सड़क डामर की है, जिस पर कई जगह गहरे गड्ढे हो गए हैं। पुल के एक्सपेंशन ज्वाइंट भी उखडऩे लगे हैं। वहां सड़क टूटी हुई है। पुल के सीने पर गड्ढा रूपी जख्म होने से वह कराह रहा है। बावजूद इसके पुल की यह हालत किसी को दिखाई नहीं दे रही है। अधिकारी इस ठीक करने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं।

फुटपाथ की ऊंचाई के बराबर पहुंची सड़क

पुल के किनारे फुटपाथ बना हुआ है। कोलतार डालते-डालते अब सड़क भी फुटपाथ के बराबर ऊंचाई तक पहुंच गई है। इससे कब वाहन किनारे पर आ जाएं, यह पता ही नहीं चल पाता है। यही हाल किनारे पर लगी रेलिंग का है। यह कई जगह से क्षतिग्रस्त हो चुकी है। इसलिए यहां से वाहनों के नीचे गिरने का डर बना रहता है।

पीडब्ल्यूडी ने बनाया था एस्टीमेट, सेतु निगम ने किया सर्वे

पुल की मरम्मत के लिए पीडब्ल्यूडी ने सात माह पहले करीब 80 लाख रुपये का एस्टीमेट तैयार कर शासन को भेजा था। इसमें पुल की सतह, रेलिंंग, एक्सपेंशन ज्वाइंट आदि की मरम्मत की जानी थी। करीब तीन महीने पहले सेतु निगम के लखनऊ कार्यालय ने टीम भेजकर पुल का सर्वे कराया। पता चला कि सेतु निगम पुल की छत के साथ ही समूचे ढांचे की मरम्मत का प्लान तैयार कर रहा है। इसके बाद पीडब्ल्यूडी का प्लान आगे नहीं बढ़ पाया।

किला पुल की मरम्मत के लिए एस्टीमेट तैयार कर शासन को भेज दिया गया था। बीच में पता चला कि सेतु निगम खुद पुल का सर्वे कराकर उसकी मरम्मत कराएगा। इसके बाद मरम्मत का एस्टीमेट आगे नहीं बढ़ सका।

पीके बांगड़ी, एक्सईएन, पीडब्ल्यूडी

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