अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस, अपनी उंगलियों से प्यार भेजें


आज, हम लोगों के बीच सामंजस्य की वकालत करते हैं। बधिर समूह समाज में एक कमजोर समूह है। हालांकि बधिर समूह को समाज के विभिन्न जगतों की ओर से देखभाल और समर्थन मिला है और उनकी स्थिति और जीवन में कुछ हद तक सुधार हुआ है। लेकिन अपनी परेशानियों और पूर्वाग्रहों के कारण बधिर लोगों के लिए वास्तव में समानता प्राप्त करना और समाज में भाग लेना अभी भी मुश्किल है। इस स्थिति में बधिर लोगों को रोजगार पाने और स्वतंत्र होने में मदद करने, उनके समाजवादी आधुनिकीकरण में समान रूप से भाग लेने व आर्थिक विकास में योगदान देने, और उन्हें मुख्यधारा में शामिल कराने के लिए सांकेतिक भाषा को समझना और सीखना बहुत आवश्यक हो गया है। इससे न केवल अपनी भाषा को समृद्ध बनाया जा सकता है, बल्कि बधिरों को समाज में बेहतर भागीदारी और एकीकरण में मदद मिल सकती है।

बधिर लोगों के लिए, सांकेतिक भाषा बधिर संस्कृति का वाहक और मूल है और बधिर पहचान का आधार भी है। क्या वे सांकेतिक भाषा का उपयोग करते हुए बधिर लोगों के साथ स्वतंत्र रूप से संवाद कर सकते हैं, वह काफी हद तक इस बात को प्रभावित करता है कि क्या वे बधिर समाज में अपनेपन की भावना पा सकते हैं।
सुनने वाले लोगों के लिए, सांकेतिक भाषा बहरे और सुनने वाले दोनों तरह के समूहों के बीच सुचारू आदान-प्रदान और सामंजस्यपूर्ण सामाजिक संबंधों के निर्माण के लिए मददगार है। इसके अलावा, सांकेतिक भाषा से लोगों की उंगलियों और बाहों को सुंदर और उनके भावों को ज्वलंत बनाया जा सकता है, सड़कों व खिड़कियों के आर-पार लोग बातें कर सकते हैं, शोर के माहौल में अपने अर्थ को सटीक रूप से व्यक्त कर सकते हैं, दूसरों को परेशान किए बिना गर्म चर्चा कर सकते हैं, और अधिक बधिरों के साथ दोस्त बना सकते हैं और एक अलग दुनिया का अनुभव कर सकते हैं। और साथ ही यह तरीका अल्जाइमर सिंड्रोम को रोक सकता है और जब आप बूढ़े होंगे तो मस्तिष्क भी लचीला होगा।
यदि आप वाकई सांकेतिक भाषा में रुचि रखते हैं, तो सीखते हुए आप प्रकाश की एक किरण बन सकते हैं। ऐसी किरण जो उस अंधेरे कोने में चमकती है, जिस पर आपने कभी ध्यान नहीं दिया।
(साभार---चाइना मीडिया ग्रुप ,पेइचिंग)
--आईएएनएस
एएनएम