केरल में जन्मे अब्राहम की फर्म अमेरिकी सेना के वाहनों के लिए बनाएगी टायर

न्यूयॉर्क , 25 नवंबर (आईएएनएस)। केरल में जन्मे अब्राहम पन्नीकोट्टू के अमेरिकन इंजीनियरिंग ग्रुप (एईजी) को अमेरिकी सेना के वाहनों के लिए जीरो प्रेशर टायर विकसित करने और बनाने के लिए अमेरिकी रक्षा विभाग से फंडिंग मिली है।
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केरल में जन्मे अब्राहम की फर्म अमेरिकी सेना के वाहनों के लिए बनाएगी टायर न्यूयॉर्क , 25 नवंबर (आईएएनएस)। केरल में जन्मे अब्राहम पन्नीकोट्टू के अमेरिकन इंजीनियरिंग ग्रुप (एईजी) को अमेरिकी सेना के वाहनों के लिए जीरो प्रेशर टायर विकसित करने और बनाने के लिए अमेरिकी रक्षा विभाग से फंडिंग मिली है।

ओहियो स्थित फर्म कार्बन फाइबर प्रेशर जीरो टायर तकनीक में माहिर है, जो यह सुनिश्चित करती है कि सड़क के किनारे बम या गोलियों से छलनी होने के बाद भी टायर चलते रहेंगे।

फर्म के सीईओ व्यवसायी पन्निकोट्टू ने कहा, पहला प्रेशर जीरो टायर 2023 में डिलीवर किया जाएगा। इस सैन्य टायर को अवधारणा से वास्तविकता तक लाना एईजी के लिए एक लंबी, दो दशक की यात्रा रही है।

कंपनी के एक बयान में कहा गया है कि इस विनिर्माण तकनीक का विकास मानवयुक्त और मानव रहित स्वायत्त वाहनों, दोनों के लिए सैन्य टायरों के अंदर मौजूदा रन-फ्लैट की जगह लेगा।

2022 सर्वग्राही विनियोग विधेयक राष्ट्रीय रक्षा व्यय पर 782 बिलियन डॉलर खर्च करेगा, जिसमें कार्बन फाइबर प्रेशर जीरो टायर प्रौद्योगिकी जैसी अगली पीढ़ी की तकनीकों को विकसित करने में 5 मिलियन डॉलर शामिल हैं।

अमेरिकी सैन्य वाहन टायर अब रन-फ्लैट आवेषण से लैस हैं, लेकिन रक्षा विभाग उन्हें अपग्रेड करना चाहता है जो भारी भार ले जाने में सक्षम हों और सैनिकों का बचाव कर सकें।

रक्षा वाहन वजन आवश्यकताओं को इतना बढ़ा दिया गया है कि वर्तमान टायर लोड का समर्थन नहीं कर सकते हैं और डीओडी (रक्षा विभाग) एक ऐसा टायर बनाना चाहता है, जो वाहन की गतिशीलता के साथ-साथ उत्तरजीविता और रखरखाव को बढ़ाता है।

चरण-1 के परिणामों के आधार पर, नए एईजी जीरो प्रेशर टायर ने कई बार उच्च-वेग वाली राइफल से टकराने के बाद 300 मील तक न्यूनतम 50 मील प्रति घंटे की गति का सामना किया।

कंपनी के इंजीनियरों के मुताबिक, रक्षा विभाग के चार अलग-अलग स्पेशल ऑपरेशंस व्हीकल्स के चार अलग-अलग टायर साइज पर फेज-2 में इस डिजाइन की ड्यूरेबिलिटी विशेषताओं का आगे अध्ययन किया जाएगा।

--आईएएनएस

एचएमए/एएनएम