पश्चिम बंगाल सरकार हाथियों की रक्षा के लिए 600 गजमित्रों की नियुक्ति करेगी

कोलकाता, 19 मार्च (आईएएनएस)। मानव-हाथी संघर्ष (एचईसी) की बढ़ती घटनाओं को रोकने के लिए पश्चिम बंगाल ने गजमित्र (हाथियों के मित्र) नाम से एक अनूठी पहल शुरू की है।
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कोलकाता, 19 मार्च (आईएएनएस)। मानव-हाथी संघर्ष (एचईसी) की बढ़ती घटनाओं को रोकने के लिए पश्चिम बंगाल ने गजमित्र (हाथियों के मित्र) नाम से एक अनूठी पहल शुरू की है।

इस योजना के तहत, राज्य के वन विभाग ने उत्तर बंगाल के साथ-साथ दक्षिण बंगाल में 600 स्थानीय युवाओं को गजमित्रों के रूप में नियुक्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

पश्चिम बंगाल के वन मंत्री ज्योतिप्रियो मलिक के मुताबिक, भर्ती प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। उन्होंने कहा, एक बार भर्ती प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद, चयनित युवाओं को विशेष रूप से विकसित गजमित्र ऐप के साथ एंड्रॉइड सेट प्रदान किए जाएंगे।

मंत्री ने कहा कि चयनित युवा हाथी के झुंड की आवाजाही के बारे में अग्रिम जानकारी प्राप्त करेंगे, वन विभाग और स्थानीय लोगों को सतर्क करेंगे ताकि संघर्ष से बचने के लिए निवारक उपाय किए जा सकें।

यह पता चला है कि 200 ऐसे गजमित्रों को दक्षिण बंगाल में प्रतिनियुक्त किया जाएगा, जबकि 400 उत्तर बंगाल के लिए होंगे। वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, उत्तरी बंगाल के मामले में यह संख्या दोगुनी है क्योंकि उत्तर बंगाल में संघर्ष की घटनाएं दक्षिण बंगाल की तुलना में काफी ज्यादा हैं।

गजमित्र योजना के तहत आने वाले दक्षिण बंगाल के जिलों में पश्चिम मिदनापुर, पूर्वी मिदनापुर, बांकुरा, पुरुलिया शामिल हैं। उत्तर बंगाल में इसके दायरे में आने वाले जिले दार्जिलिंग, जलपाईगुड़ी और अलीपुरद्वार हैं। अधिकारी ने कहा, उत्तर बंगाल में संघर्ष जिलों की संख्या कम होने के बावजूद, इन मामलों में घटनाएं बहुत अधिक हैं।

यह देखते हुए कि उत्तर बंगाल में संघर्ष की घटनाएं अधिक हैं, रेलवे के सहयोग से वन विभाग ने इस क्षेत्र में इस गिनती पर एक और परियोजना निर्धारित की है। यह परियोजना उत्तर बंगाल में तराई और दुआर क्षेत्र के जंगलों के माध्यम से चलने वाली रेलवे पटरियों के साथ एक संवेदनशील सेंसर अलार्म सिस्टम की स्थापना है, ताकि तेज रफ्तार ट्रेनों से टकराने के बाद हाथियों की मौत को रोका जा सके।

अधिकारी ने कहा, यह पहल इस बात पर विचार कर रही है कि इन रेलवे पटरियों का एक बड़ा हिस्सा जंगलों से होकर गुजरता है, जहां कई महत्वपूर्ण हाथी गलियारे हैं।

यह सेंसर अलार्म सिस्टम कैसे काम करेगा, इस बारे में बताते हुए अधिकारी ने कहा कि रेल की पटरियों के पास हाथियों के झुंड के आने पर सिस्टम नजदीकी रेलवे स्टेशन के साथ-साथ नजदीकी वन रेंज कार्यालय को अलर्ट भेजेगा।

अलर्ट मिलने पर निकटतम रेलवे स्टेशन इस क्षेत्र में चलने वाली ट्रेनों के चालकों को अलर्ट भेजेगा, ताकि वे धीमे हो जाएं और हाथियों से टकराने से बच सकें। दूसरी ओर, वनकर्मी अलार्म प्राप्त करने पर रेलवे ट्रैक से हाथियों के झुंड को सुरक्षित दूर ले जाने के लिए पास के रेंज कार्यालय में एहतियाती कदम उठाएंगे।

उन्होंने कहा, पायलट प्रोजेक्ट के तहत जलपाईगुड़ी जिले के नागराकाटा में डायना रिवर ब्रिज से अलीपुरद्वार के मथारीहाट तक लगभग 50 किमी की दूरी तय करते हुए सिस्टम स्थापित किया जाएगा। यह क्षेत्र मानव-हाथी संघर्ष के लिए विशेष रूप से कुख्यात है।

नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, पिछले तीन वर्षों के दौरान पश्चिम बंगाल से ट्रेन दुर्घटनाओं के कारण 11 हाथियों की मौत हुई है।

--आईएएनएस

एचएमए/एसकेपी