सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा को ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी के 844 सदस्यों को फ्लैट उपलब्ध कराने का निर्देश दिया

नई दिल्ली, 22 सितम्बर (आईएएनएस)। सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को भूमि आवंटन को लेकर तीन दशक से अधिक पुराने कानूनी विवाद पर विराम देते हुए नोएडा को केंद्र सरकार के कर्मचारियों के एक ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी के 844 सदस्यों को फ्लैट उपलब्ध कराने का निर्देश दिया।
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सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा को ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी के 844 सदस्यों को फ्लैट उपलब्ध कराने का निर्देश दिया नई दिल्ली, 22 सितम्बर (आईएएनएस)। सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को भूमि आवंटन को लेकर तीन दशक से अधिक पुराने कानूनी विवाद पर विराम देते हुए नोएडा को केंद्र सरकार के कर्मचारियों के एक ग्रुप हाउसिंग सोसाइटी के 844 सदस्यों को फ्लैट उपलब्ध कराने का निर्देश दिया।

1800 वर्ग फुट के फ्लैट शहर के सेक्टर 43 में स्थित हैं। मुख्य न्यायाधीश यू.यू. ललित ने कहा, हम मामले में पूर्ण न्याय करने के लिए अपने अधिकार क्षेत्र और शक्ति का प्रयोग करते हैं और नोएडा को 844 व्यक्तियों को लाभ देने का निर्देश देते हैं, जैसा कि नोएडा की ओर से दायर हलफनामे में दशार्या गया है।

बेंच, जिसमें जस्टिस इंदिरा बनर्जी और केएम जोसेफ भी शामिल हैं। उन्होंने कहा, यह कहने की जरूरत नहीं है कि उक्त अपार्टमेंट की कीमत नोएडा द्वारा पूरी तरह से अपनी मौजूदा नीति और लागू मानदंडों के अनुसार तय की जाएगी। प्रतिवादी-समाज द्वारा आज से दो सप्ताह के भीतर प्रमाणित प्रमाण पत्र के तहत उक्त 844 व्यक्तियों की सूची प्रस्तुत की जाएगी।

पीठ ने कहा कि, न्यू ओखला औद्योगिक प्राधिकरण (नोएडा) सेक्टर 43 के हिस्से को फिर से बिछाने और 844 व्यक्तियों के पक्ष में बहुमंजिला फ्लैटों का आवंटन करने के लिए सहमत है, जिनमें से प्रत्येक फ्लैट लगभग 1,800 वर्ग फुट का है। पूरे विवाद को इस समझ पर सेट किया जा सकता है कि प्रतिवादी-सोसाइटी के 844 सदस्यों को लगभग 1,800 वर्ग फुट के अपार्टमेंट में जगह दी जाएगी, जैसा कि नोएडा द्वारा 23.8.2021 के आदेश के अनुसार दायर हलफनामे में कहा गया है। यह निर्देश न केवल पक्षों के बीच लंबित मुकदमे को शांत करेगा बल्कि उक्त 844 व्यक्तियों को घर भी उपलब्ध कराएगा और उनकी लंबे समय से चली आ रही जरूरतों को पूरा करेगा।

केन्द्रीय कर्मचारी सहकारी गृह निर्माण समिति ने तर्क दिया था कि दावा 977 सदस्यों तक सीमित था, जिनमें से 133 व्यक्तियों ने अनुमति के बिना अपना हित बेच दिया था, और 133 व्यक्तियों के हस्तांतरण, नोएडा के अनुसार, कोई दावा नहीं कर सकते। इस पर बेंच ने कहा, इस स्तर पर हमें उन 133 व्यक्तियों के दावे पर भी विचार करना चाहिए, जिन्होंने स्थानांतरण द्वारा पूर्व सदस्यों के हित अर्जित किए हैं। नोएडा उनके दावों पर गौर करेगा और यदि संतुष्ट हो, तो उन्हें 844 सदस्यों के समान लाभ प्रदान कर सकता है।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला नोएडा द्वारा दायर अपील पर आया जिसमें सोसायटी द्वारा दायर याचिकाओं पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अंतरिम आदेश को चुनौती दी गई थी। सीलिंग कार्यवाही में पारित आदेशों को चुनौती दी गई थी, जिसमें कहा गया था कि, राज्य में निहित समाज के हाथों में अतिरिक्त भूमि थी।

--आईएएनएस

केसी/एएनएम