तमिलनाडु सरकार छोटे जानवर पकड़ने के लिए गोंद के जाल के इस्तेमाल को लेकर सख्त

चेन्नई, 4 अगस्त (आईएएनएस)। तमिलनाडु सरकार गोंद के जालों के अंधाधुंध उपयोग को रोकने के लिए अपने प्रयास तेज कर रही है, जिस कारण छोटे जानवरों की धीमी और दर्दनाक मौत होती है।
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तमिलनाडु सरकार छोटे जानवर पकड़ने के लिए गोंद के जाल के इस्तेमाल को लेकर सख्त चेन्नई, 4 अगस्त (आईएएनएस)। तमिलनाडु सरकार गोंद के जालों के अंधाधुंध उपयोग को रोकने के लिए अपने प्रयास तेज कर रही है, जिस कारण छोटे जानवरों की धीमी और दर्दनाक मौत होती है।

अतिरिक्त मुख्य सचिव ने एक पत्र में पशुपालन और पशु चिकित्सा सेवाओं के आयुक्त और राज्य के जिला कलेक्टरों को निर्देश दिया है कि वे भारतीय पशु कल्याण बोर्ड द्वारा क्रूर गोंद जाल के निर्माण, बिक्री और उपयोग पर रोक लगाने के लिए जारी की गई सलाह को लागू करने के लिए तत्काल कदम उठाएं।

जुलाई में जारी आदेश में अधिकारियों को विशेष अभियान चलाने और निर्माताओं और व्यापारियों से गोंद जाल को जब्त करने के लिए कानून प्रवर्तन अधिकारियों के साथ संवाद करने का निर्देश दिया और अनुरोध किया कि वे राज्य में गोंद जाल के उपयोग पर प्रतिबंध और कृंतक नियंत्रण के मानवीय तरीकों के बारे में जन-जागरूकता नोटिस जारी करें। पत्र में तत्काल कार्रवाई की रिपोर्ट देने की भी मांग की गई है।

राज्य सरकार की कार्रवाई पशु अधिकार संगठन पीपुल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (पेटा) इंडिया की अपील के जवाब में आई है।

पेटा इंडिया एडवोकेसी एसोसिएट फरहत उल ऐन ने कहा, गोंद जाल के निर्माता और विक्रेता छोटे जानवरों को बेहद धीमी और दर्दनाक मौत की सजा देते हैं। पेटा इंडिया ने जानवरों की रक्षा के लिए कदम उठाने के लिए तमिलनाडु की सराहना की, चाहे वह कितना भी छोटा क्यों न हो और पूरे देश के अनुसरण के लिए एक उदाहरण स्थापित किया जाए।

पेटा इंडिया ने अपनी अपील में उल्लेख किया कि ग्लू ट्रैप का उपयोग पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 की धारा 11 के तहत एक दंडनीय अपराध है। यह वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम, 1972 का स्पष्ट रूप से उल्लंघन है, जो संरक्षित स्वदेशी प्रजातियों के शिकार को प्रतिबंधित करता है।

इन जालों में फंसे चूहे और अन्य जानवर लंबे समय तक पीड़ित रहने के बाद भूख, निर्जलीकरण या जोखिम से मर सकते हैं। जब उनके नाक और मुंह गोंद में चिपक जाते हैं तो उनका दम घुट सकता है।

पेटा इंडिया ने नोट किया कि मानव पिंजरे के जाल का उपयोग करके जानवरों को पकड़ सकते हैं।

--आईएएनएस

एचके/एसजीके