श्रीशंकर की निगाहें विश्व चैंपियनशिप, पेरिस ओलंपिक पर
श्रीशंकर उन कुछ भारतीय जंपर्स में से एक हैं, जिन्होंने लगातार 8 मीटर का आंकड़ा पार किया है और 8.36 मीटर पर राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया है। 23 वर्षीय श्रीशंकर का टोक्यो में खराब प्रदर्शन था, जो फाइनल में जगह बनाने में नाकाम रहे थे।
गुरुवार को श्रीशंकर ने राष्ट्रमंडल गेम्स में एक भारतीय लॉन्ग जम्पर के लिए थोड़ी सर्द और हवा की स्थिति में, एक ऐतिहासिक रजत पदक का दावा किया, जो कि सुरेश बाबू ने 1978 में कनाडा के एडमोंटन में कांस्य पदक जीता था। यह श्रीशंकर के करियर का सबसे बड़ा पदक भी था, जिसने उन लोगों को जवाब दिया, जो उनसे पदक लाने की उम्मीद नहीं कर रहे थे।
अब जब उन्होंने वैश्विक मंच पर अपना पहला पदक जीत लिया है, तो श्रीशंकर अगले साल होने वाली विश्व चैंपियनशिप और उसके बाद 2024 के ओलंपिक में जाने के लिए उत्साहित हैं।
श्रीशंकर ने माना कि यह उनके जीवन का सबसे बड़ा दिन था।
उन्होंने कहा, ईमानदारी से कहूं तो हां, क्योंकि यह मेरा अब तक का पहला वैश्विक पदक है। मैं बहुत लंबे समय से पदक का इंतजार कर रहा हूं। मैं वल्र्ड इंडोर में सातवें, वल्र्ड आउटडोर में सातवें, वल्र्ड जूनियर्स में छठे स्थान पर रहा हूं। राष्ट्रमंडल गेम्स में अपने देश का प्रतिनिधित्व करते हुए रजत पदक जीतकर वास्तव में खुश हूं।
उन्होंने आगे कहा, मैं अपनी सर्जरी के कारण राष्ट्रमंडल गेम्स 2018 से चूक गया था। मैं रजत पदक जीतकर वास्तव में खुश हूं। प्रतियोगिता वास्तव में बहुत कठिन थी, हम दोनों 8.08 पर थे।
23 वर्षीय जम्पर ने कहा कि परिस्थितियां कठिन थी और वह प्रतियोगिता के दौरान अपने सौ प्रतिशत नहीं दे पाए।
श्रीशंकर ने कहा कि अब उन्होंने रजत पदक जीत लिया है, उनका तात्कालिक लक्ष्य मोनाको ग्रां प्री में अच्छा प्रदर्शन करना है जिसमें वह कुछ दिनों में भाग लेंगे।
लॉन्ग जम्पर ने कहा कि वह अपना पदक पूरे देश को समर्पित करते हैं और उन सभी लोगों को धन्यवाद देते हैं, जो उनके मुश्किल समय में उनके साथ खड़े रहे।
--आईएएनएस
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