राजस्थान में एक दशक बाद परिवार से मिला नाबालिग

चंडीगढ़, 24 मई (आईएएनएस)। हरियाणा पुलिस की एंटी-ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट ने एक दशक के बाद राजस्थान में एक परविार को उनके इकलौते बेटे से मिलवा दिया। लड़का अभी भी नाबालिग है।
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चंडीगढ़, 24 मई (आईएएनएस)। हरियाणा पुलिस की एंटी-ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट ने एक दशक के बाद राजस्थान में एक परविार को उनके इकलौते बेटे से मिलवा दिया। लड़का अभी भी नाबालिग है।

पुलिस के एक प्रवक्ता ने बुधवार को कहा, एडीजी ओपी सिंह ने सभी एंटी-ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट (एएचटीयू) के प्रभारियों को आदेश दिया है कि वे लापता बच्चों का डेटाबेस बनाने के लिए समय-समय पर हरियाणा की सीमा से लगे सभी राज्यों के बाल गृहों (चिल्ड्रन होम) का दौरा करें।

एएचटीयू यूनिट ने लापता बच्चों की तलाश में पंजाब के पटियाला के राजपुरा में बाल गृह में वेलफेयर अधिकारी से संपर्क किया था। वेलफेयर अधिकारी ने उन्हें बताया कि उनके पास हरियाणा का कोई बच्चा नहीं है, लेकिन एक बच्चा था जो बिना किसी पारिवारिक विवरण के यहां रह रहा था।

काउंसलिंग के दौरान बच्चे ने अपना और माता-पिता का नाम बताया जो बिहार के समस्तीपुर के रहने वाले थे। बच्चे के पते पर संपर्क करने पर परिजनों ने कहा कि बच्चा उनका नहीं है।

आगे की काउंसलिंग के दौरान दलघर शब्द सामने आया। दलघर को इंटरनेट पर सर्च किया गया, जिससे छह गांवों के बारे में जानकारी मिली। प्रवक्ता ने कहा कि सभी राज्यों से संपर्क किया गया और पता चला कि दलघर राजस्थान के सिरोही जिले में स्थित है।

बच्चे की फोटो गांव भेजी गई तो पिता ने बेटे को पहचान लिया। पिता को फोटो भी भेजी गई और वीडियो कॉल भी कराई गई। पिता ने साझा किया कि उनका बेटा 10 साल पहले 2013 में अपने गांव से लापता हो गया था। उस समय उसकी उम्र छह साल थी।

अमृतसर में बाल कल्याण परिषद के आदेश से जरूरी औपचारिकताओं के बाद नाबालिग को परिवार को सौंप दिया गया।

--आईएएनएस

एफजेड/एएनएम