बच्चों के कैमरे से क्लिक तस्वीरों में दिखी गांव की उत्साह भरी जिंदगी

भोपाल, 22 नवंबर (आईएएनएस)। दुनिया बदल रही है, आधुनिकता की अंधी दौड़ में हर कोई शामिल होने को आतुर है, जरूरत नहीं है फिर भी हर हाथ में मोबाइल है। इसके बावजूद ग्रामीण इलाकों में अब भी ग्रामीण क्षेत्र बच्चों की पसंद बने हुए हैं, आदिवासी बाहुल्य अलिराजपुर के बच्चों ने अपने कैमरे से इन्हीं ग्रामीण क्षेत्रों से जुड़ी तस्वीरें उतारी हैं। इन तस्वीरों की राजधानी में प्रदर्शनी भी लगाई गई है जो रोमांचित करने वाली है।
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बच्चों के कैमरे से क्लिक तस्वीरों में दिखी गांव की उत्साह भरी जिंदगी भोपाल, 22 नवंबर (आईएएनएस)। दुनिया बदल रही है, आधुनिकता की अंधी दौड़ में हर कोई शामिल होने को आतुर है, जरूरत नहीं है फिर भी हर हाथ में मोबाइल है। इसके बावजूद ग्रामीण इलाकों में अब भी ग्रामीण क्षेत्र बच्चों की पसंद बने हुए हैं, आदिवासी बाहुल्य अलिराजपुर के बच्चों ने अपने कैमरे से इन्हीं ग्रामीण क्षेत्रों से जुड़ी तस्वीरें उतारी हैं। इन तस्वीरों की राजधानी में प्रदर्शनी भी लगाई गई है जो रोमांचित करने वाली है।

राजधानी के स्वराज भवन में लगाई गई बच्चों की इस फोटोग्राफी प्रदर्शनी में बच्चों के बड़े फोटोग्राफ बनने की भी झलक मिलती है। इस प्रदर्शनी में बच्चों द्वारा खींची गई तस्वीरों में ग्रामीण खेलों की जानकारी का तो समावेष है ही साथ में वहां की जीवनशैली को भी तस्वीरों में उतारा गया है।

प्रदर्शनी में जिन तस्वीरों को प्रदर्षित किया गया है उनमें कक्षा दसवीं के छात्र गोविंद द्वारा खींची गई तस्वीर तीरंदाजी, कक्षा नौवीं की सुनीता छात्रा द्वारा खींची गई मौसम व खेल की तस्वीर, कक्षा नवमीं के धर्मेद्र द्वारा खींची गई सतोलिया की फोटो, कक्षा दसवीं कविता की घोड़ा बदाम खाए खेल की तस्वीर, कक्षा दसवीं किरण की कंचे की तस्वीर, कक्षा नौवीं दीपक द्वारा खींची गई घरौंदा मिट्टी के कच्चे मकान बनाने की तस्वीर, सलीम की अष्टचंग की तस्वीर, कक्षा दसवीं महेश के खींची गई गुलेल एवं भंवरी के चित्र गांव की जीवन शैली से रूबरू कर देती है।

एक तरफ जहां प्रदर्शनी में गांव की जीवनशैली को प्रदर्षित किया गया है तो वहां से आए बच्चों ने ग्रामीण खेल कंचे, भंवरी चलाना, अष्ट चंग खेल का प्रदर्शन भी किया।

प्रेस इनफॉरमेशन ब्यूरो के एडीशनल डायरेक्टर जनरल प्रशांत पथवे का कहना है कि आज के समय में फोटो जर्नलिस्म भी खबरें और जानकारी साझा करने के लिए एक अच्छा माध्यम है। इन बच्चों को फोटो जर्नलिस्ट के रूप में भी तैयार कर सकते हैं, ताकि ग्रामीण अंचल के खेल और जीवन शैली को सभी तक पहुंचाया सके।

वरिष्ठ पत्रकार श्री गिरीश उपाध्याय का कहना है कि इन बच्चों की आँखो में दुनियादारी नहीं है, बस प्यार है और सरलता है, जो कि इनके द्वारा खींची गई तस्वीरो में भी नजर आती है।

भाजपा की प्रदेश प्रवक्ता नेहा बग्गा का मानना है कि आज सारे खेल मोबाइल तक सीमित हो गए हैं। ये ग्रामीण खेल बच्चों में शारीरिक क्षमता बढ़ाने के साथ-साथ, टीम वर्क आदि को बढ़ावा देते हैं। इस प्रदर्शनी के माध्यम से अपने बचपन से जुड़कर मुझे बहुत खुशी हुई। आज के समय में इंस्टाग्राम के माध्यम से तुरंत फोटो और वीडियो पूरी दुनिया से साझा हो जाते हैं। बच्चों को सोशल मीडिया से जोड़कर और आगे ले जा सकते हैं।

--आईएएनएस

एसएनपी/एसकेके