तमिलनाडु में पानी की टंकी में मानव मल का मामला : सीबीआई जांच की मांग बढ़ी

चेन्नई, 18 मार्च (आईएएनएस)। दिसंबर 2022 में तमिलनाडु के पुदुकोट्टई जिले में एक दलित बस्ती में पीने के पानी की टंकी में मानव मल की घटना सुर्खियों में आई थी। मामले की जांच स्थानीय पुलिस द्वारा शुरू की गई थी, और स्थानीय पुलिस ने एक जांच शुरू की थी, जिसे धीमी कार्रवाई की शिकायतों के बाद सीबी-सीआईडी को सौंप दिया गया था। स्थानीय निवासी अब राज्य पुलिस की विफलता पर सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं।
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चेन्नई, 18 मार्च (आईएएनएस)। दिसंबर 2022 में तमिलनाडु के पुदुकोट्टई जिले में एक दलित बस्ती में पीने के पानी की टंकी में मानव मल की घटना सुर्खियों में आई थी। मामले की जांच स्थानीय पुलिस द्वारा शुरू की गई थी, और स्थानीय पुलिस ने एक जांच शुरू की थी, जिसे धीमी कार्रवाई की शिकायतों के बाद सीबी-सीआईडी को सौंप दिया गया था। स्थानीय निवासी अब राज्य पुलिस की विफलता पर सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं।

एक स्थानीय निवासी जगन्नाथन ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, मामले की जांच सीबी-सीआईडी कर रही है और कई लोगों से पूछताछ की जा रही है। हमें लग रहा है कि मामला सही रास्ते पर नहीं चल रहा है। हमारे कुछ दलित भाइयों से पुलिस बार-बार पूछताछ कर कर रही है और हमें लगता है कि केस हमारे खिलाफ ही घूम रहा है।

इस बीच, पुदुकोट्टई के पी. थिरुमुगम ने मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै खंडपीठ में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की जिसमें मामले की सीबीआई जांच की मांग की गई थी। अदालत ने शुक्रवार को तमिलनाडु सरकार को थिरुमुगम द्वारा दायर जनहित याचिका पर कार्रवाई रिपोर्ट उपलब्ध कराने का निर्देश दिया।

जस्टिस आर. सुब्रमण्यन और जस्टिस एल. विक्टोरिया गौरी की खंडपीठ ने अतिरिक्त महाधिवक्ता को इस मामले में सरकार द्वारा की गई कार्रवाई पर एक रिपोर्ट प्रदान करने का निर्देश दिया और 30 मार्च को मामले की आगे की सुनवाई करेगी। रिपोर्ट के अनुसार, अदालत द्वारा राज्य सरकार से कार्रवाई रिपोर्ट मांगना उन लोगों की बड़ी जीत मानी जा रही है जो मामले की सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं।

थिरुमुगम ने मीडियाकर्मियों से बात करते हुए कहा कि वेंगैवयल में 100 से अधिक दलित परिवार हैं और ओवरहेड पानी की टंकी की क्षमता 10,000 लीटर है। पानी की टंकी में मानव मल का मिलना दलित लोगों का अपमान है, जिन्हें स्थानीय अय्यनार मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं देने सहित उच्च जाति के लोगों द्वारा क्षेत्र में दूसरी श्रेणी के नागरिक के रूप में देखा जाता है।

उन्होंने कहा कि सीबी-सीआईडी पिछले दो महीनों से मामले की जांच कर रही है और एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) नियम 1995 के नियम 7 के अनुसार, जांच 30 दिनों के भीतर पूरी हो जानी चाहिए थी। नियम का पालन नहीं किया गया और मामले को सीबीआई को स्थानांतरित करने का अनुरोध किया गया है। वीसीके और अंबेडकर आंदोलन सहित क्षेत्र के दलित दल भी इस मामले की सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं।

--आईएएनएस

एफजेड/एएनएम