एनएचआरसी ने झारखंड में आदिवासी लड़की से बर्बरता पर डीजीपी और सीएस से चार हफ्ते में मांगी रिपोर्ट

रांची, 19 मई (आईएएनएस)। राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने झारखंड के पलामू जिले के जोगीडीह में पंचायत के फरमान पर एक लड़की का सिर मुंडवाने, उसकी पिटाई करने, उसके गले में जूते की माला पहनाकर जुलूस निकालने और फिर रात में जंगल में छोड़ देने की घटना की मीडिया रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान लिया है। आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर मामले में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
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रांची, 19 मई (आईएएनएस)। राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने झारखंड के पलामू जिले के जोगीडीह में पंचायत के फरमान पर एक लड़की का सिर मुंडवाने, उसकी पिटाई करने, उसके गले में जूते की माला पहनाकर जुलूस निकालने और फिर रात में जंगल में छोड़ देने की घटना की मीडिया रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान लिया है। आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर मामले में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।

गौरतलब है कि इस घटना की खबर सबसे पहले आईएएनएस एजेंसी ने जारी की थी। जिस आदिवासी युवती के साथ यह बर्बर सलूक हुआ था, उसका कसूर सिर्फ इतना था कि उसने उसकी मर्जी के बगैर घर-समाज की ओर से तय की गई शादी को मानने से इनकार कर दिया था।

मानवाधिकार आयोग ने एक प्रेस रिलीज में कहा है कि मीडिया रिपोर्ट की सामग्री, यदि सत्य है, तो यह ग्राम पंचायत के इशारे पर पीड़िता के मानव अधिकारों का उल्लंघन है। इस तरह के अनैतिक और गैरकानूनी कृत्य के अपराधियों को विधिसम्मत शासन वाले एक सभ्य समाज में बख्शा नहीं जा सकता है।

आयोग ने झारखंड के मुख्य सचिव और डीजीपी से कहा गया है कि इस मामलें में पुलिस द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी, पीड़ित लड़की के चिकित्सा उपचार और यदि कोई मुआवजा दिया गया हो, तो उसकी पूरी जानकारी रिपोर्ट में उपलब्ध कराई जाए।

आयोग ने कहा है कि अधिकारियों से रिपोर्ट में पीड़िता को दिए गए मुआवजे की किस्त के संबंध में सूचित करने की अपेक्षा की जाती है, जो अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार उसे मिलना चाहिए। उनसे यह भी अपेक्षा की जाती है कि वे पीड़ित लड़की, जिसने शारीरिक पीड़ा, अपमान और सामाजिक कलंक का आघात झेला है, को दिए जाने वाले मानसिक परामर्श की स्थिति के बारे में सूचित करेंगे। आयोग इस दु:खद घटना के लिए जिम्मेदार दोषी अधिकारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई के बारे में भी जानना चाहेगा।

16 मई, की मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पीड़िता 20 अप्रैल, 2023 को अपनी शादी के दिन भाग गई थी। 20 दिन बाद जब वह गांव लौटी तो उसे सजा देने के लिए पंचायत की बैठक बुलाई गई। पंचायत के फरमान पर उसे प्रताड़ित कर गांव में घुमाने के बाद रात में जंगल में छोड़ दिया गया, जहां से पुलिस द्वारा अगले दिन उसे बचाकर अस्पताल में भर्ती कराया गया। कथित तौर पर, उसके माता-पिता की आठ साल पहले मृत्यु हो गई थी और वह भाई और दो बहनों के साथ रह रही है।

--आईएएनएस

एसएनसी/एएनएम