इमरान पर सुनवाई से पहले पीटीआई कार्यकर्ताओं ने इस्लामाबाद कोर्ट परिसर के बाहर पथराव किया

इस्लामाबाद, 18 मार्च (आईएएनएस)। पीटीआई के अध्यक्ष इमरान खान और उनका काफिला शनिवार को इस्लामाबाद न्यायिक परिसर के बाहर पहुंचा, जहां तोशखाना मामले में सुनवाई की जानी थी, इस दौरान पुलिस ने आरोप लगाया कि पार्टी कार्यकर्ताओं ने उन पर पथराव शुरू कर दिया।
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इस्लामाबाद, 18 मार्च (आईएएनएस)। पीटीआई के अध्यक्ष इमरान खान और उनका काफिला शनिवार को इस्लामाबाद न्यायिक परिसर के बाहर पहुंचा, जहां तोशखाना मामले में सुनवाई की जानी थी, इस दौरान पुलिस ने आरोप लगाया कि पार्टी कार्यकर्ताओं ने उन पर पथराव शुरू कर दिया।

डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, पूर्व प्रधानमंत्री के साथ बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ता उन्हें अदालत परिसर तक ले जाने का प्रयास कर रहे थे, लेकिन सुरक्षा व्यवस्था के कारण ऐसा करने की अनुमति नहीं दी गई।

पीटीआई नेता अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश (एडीएसजे) जफर इकबाल की अदालत में पाकिस्तान के चुनाव आयोग (ईसीपी) द्वारा अपनी संपत्ति की घोषणाओं में कथित रूप से उपहारों के विवरण को छिपाने के लिए दायर शिकायत पर कार्यवाही में भाग लेने के लिए पेश होने के लिए पहुंचे।

इमरान सुबह 8 बजे के बाद लाहौर में अपने घर से निकले और एक वीडियो संदेश में कहा कि उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है, इस्लामाबाद पुलिस ने ट्वीट किया कि इमरान का काफिला न्यायिक परिसर के सामने पहुंच चुका है। पुलिस ने ट्विटर पर कहा, कार्यकर्ताओं से रास्ता साफ करने का अनुरोध किया जाता है ताकि इमरान खान अदालत पहुंच सकें।

डॉन की खबर के मुताबिक इसने यह भी दावा किया कि कार्यकर्ताओं ने पुलिस पर पथराव किया और कथित तौर पर एक पुलिस पिकेट को भी आग के हवाले कर दिया गया। पाकिस्तान इलेक्ट्रॉनिक मीडिया नियामक प्राधिकरण (पेमरा) ने इस्लामाबाद न्यायिक परिसर के बाहर की घटनाओं के लाइव कवरेज को प्रतिबंधित कर दिया है, जहां इमरान खान अदालत की सुनवाई के लिए पहुंच रहे हैं।

एक बयान के अनुसार, पेमरा ने खान के जमां पार्क स्थित आवास के बाहर पीटीआई कार्यकर्ताओं और कानून प्रवर्तन कर्मियों के बीच हुई झड़पों का जिक्र करते हुए कहा कि चिंता के साथ देखा कि सैटेलाइट टीवी चैनल हिंसक भीड़ के लाइव फुटेज (एसआईसी)/चित्र दिखा रहे थे, पुलिस और कानून लागू करने वाली एजेंसियों पर हमले कर रहे थे।

डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, पीटीआई समर्थकों और कानून प्रवर्तन कर्मियों के बीच दो दिनों तक चले संघर्ष के बाद यह प्रतिबंध लगाया गया है। इसमें कहा गया है कि लाहौर में राजनीतिक दल के कार्यकर्ताओं और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच हालिया गतिरोध के दौरान बिना किसी संपादकीय निरीक्षण के टीवी पर फुटेज या चित्र देखे गए, जिसमें हिंसक भीड़ ने पेट्रोल बमों का इस्तेमाल किया, पुलिसकर्मियों को घायल किया और पुलिस वाहनों को आग लगा दी।

इसमें कहा गया है कि विभिन्न सैटेलाइट टीवी चैनलों पर इस तरह के फुटेज के लाइव प्रसारण ने दर्शकों और पुलिस के बीच अराजकता और दहशत पैदा कर दी। डॉन की खबर के मुताबिक, भीड़ की इस तरह की सक्रियता न केवल कानून और व्यवस्था की स्थिति को खतरे में डालती है, बल्कि सार्वजनिक संपत्तियों को भी असुरक्षित बनाती है।

--आईएएनएस

केसी/एएनएम