आंध्र के पूर्व मंत्री की हत्या के मामले में सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, हाईकोर्ट का आदेश विरोधाभासी

नई दिल्ली, 24 मई (आईएएनएस)। आंध्र प्रदेश के पूर्व मंत्री वाई.एस. विवेकानंद रेड्डी की हत्या के मामले में सीबीआई ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दलील दी कि उसने कभी किसी ऐसे आदेश के बारे में नहीं सुना है, जो जमानत को रद्द करता है, लेकिन अनुमति भी देता है।
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नई दिल्ली, 24 मई (आईएएनएस)। आंध्र प्रदेश के पूर्व मंत्री वाई.एस. विवेकानंद रेड्डी की हत्या के मामले में सीबीआई ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दलील दी कि उसने कभी किसी ऐसे आदेश के बारे में नहीं सुना है, जो जमानत को रद्द करता है, लेकिन अनुमति भी देता है।

सीबीआई का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और पंकज मिथल की अवकाशकालीन पीठ से कहा, हमने यह कभी नहीं सुना कि जो आदेश जमानत रद्द करता है, वह जमानत की अनुमति भी देता है। यह कैसे संभव है?

उन्होंने कहा, यह स्वाभाविक रूप से विरोधाभासी है।

दिवंगत मंत्री की बेटी सुनीता नरेड्डी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि जमानत रद्द करने के साथ जमानत कैसे दी जा सकती है?

जैन ने कहा कि वह जमानत आदेश के खिलाफ नरेडी की याचिका का समर्थन कर रहे हैं। उन्होंने पीठ को सूचित किया कि जांच एजेंसी गुरुवार तक अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करेगी।

जैसा कि शीर्ष अदालत ने कहा कि वह एक संतुलित आदेश पारित करेगी, जैन ने इस मामले को शुक्रवार को सुनवाई के लिए निर्धारित करने का आग्रह किया।

शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के आदेश के अंतिम हिस्से का उल्लेख किया, जिसमें निचली अदालत को आरोपी को पिछले साल एक जुलाई को एक लाख रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की दो जमानती बॉन्ड पर रिहा करने का निर्देश दिया गया था। जैन ने कहा कि इस तरह का आदेश पूरी व्यवस्था को खत्म कर देगा।

अभियुक्तों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने कहा कि उन्होंने उच्च न्यायालय द्वारा 27 अप्रैल को जमानत रद्द करने के आदेश को चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की है।

दलीलें सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने कहा कि वह 26 मई को दोनों मामलों पर एक साथ सुनवाई करेगी।

शीर्ष अदालत सुनीता नरेड्डी द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें टी. गंगी रेड्डी उर्फ येरा गंगी रेड्डी को सशर्त जमानत देने के तेलंगाना उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई थी, जबकि जमानत रद्द करने की याचिका दायर करने की अनुमति भी दी गई थी।

उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ याचिका पर अदालत ने 18 मई को सीबीआई और आरोपियों को नोटिस जारी किया था।

तेलंगाना उच्च न्यायालय ने 27 अप्रैल को आंध्र प्रदेश के पूर्व मंत्री विवेकानंद रेड्डी की हत्या के मामले में मुख्य आरोपी येर्रा गंगी रेड्डी की जमानत रद्द कर दी। इसने उन्हें 5 मई तक केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) अदालत के सामने आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर आरोपी आत्मसमर्पण करने में विफल रहता है, तो सीबीआई उसे गिरफ्तार कर सकती है।

अदालत ने फैसला सुनाया कि चूंकि सीबीआई 30 जून को सुनवाई पूरी करने वाली है, इसलिए गंगी रेड्डी को 1 जुलाई को 1 लाख रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दी जा सकती है।

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में इस सनसनीखेज मामले की जांच पूरी करने की समय सीमा 30 जून तक बढ़ा दी थी।

पूर्व मुख्यमंत्री वाई.एस. राजशेखर रेड्डी के भाई विवेकानंद रेड्डी की हत्या चुनाव से कुछ हफ्ते पहले 15 मार्च, 2019 को कडप्पा जिले के पुलिवेंदुला स्थित उनके आवास पर कर दी गई थी। 68 वर्षीय विवेकानंद जिस समय अपने घर पर अकेले थे, कुछ अज्ञात व्यक्तियों ने उन्हें मार मार डाला था।

विवेकानंद रेड्डी की बेटी ने कुछ रिश्तेदारों पर शक जताया था। उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के निर्देश पर सीबीआई ने 2020 में इस मामले की जांच अपने हाथ में ली थी। सुप्रीम कोर्ट ने यह देखते हुए कि आंध्र प्रदेश में निष्पक्ष सुनवाई और जांच के बारे में सुनीता नरेड्डी द्वारा उठाए गए संदेह उचित थे, मामले को हैदराबाद स्थानांतरित कर दिया था।

--आईएएनएस

एसजीके/एएनएम