अवैध धार्मिक स्थलों पर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई जारी, हरिद्वार के गौरीकुंड और पंचमुखी हनुमान मंदिर को वन विभाग ने भेजा नोटिस, संत समाज में खासी नाराजगी

हरिद्वार, 24 मई (आईएएनएस)। उत्तराखंड में इन दिनों अवैध धार्मिक स्थलों पर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई जारी है। 20 अप्रैल से शुरू अतिक्रमण हटाओ अभियान में अब तक 429 अवैध मजार, 42 मंदिर और 2 गुरुद्वारे हटाए जा चुके हैं। 20 अप्रैल से अब तक 455 हेक्टेयर वन भूमि अतिक्रमणकारियों से मुक्त करा दिया गया है। साथ ही कुछ मंदिरों पर भी नोटिस चस्पा किया गया है। दरअसल, उत्तराखंड में सरकारी जमीनों से अवैध धार्मिक निमार्णों को हटाने की कार्रवाई जोर शोर से चल रही है। यह कार्रवाई सिर्फ मजारों पर नहीं की जा रही है बल्कि, मंदिरों पर भी कार्रवाई की जा रही है। जो अवैध रूप से सरकारी और वन भूमि पर बनाए गए हैं। इसी कड़ी में हरिद्वार के निरंजनी अखाड़े के मंदिर गौरीकुंड और राजाजी टाइगर रिजर्व की सीमा पर स्थित एक अन्य मंदिर पंचमुखी हनुमान मंदिर को लेकर वन विभाग ने नोटिस भेजा है। जिसमें मंदिर से संबंधित दस्तावेज दिखाने को कहा गया है। अन्यथा मंदिर को अतिक्रमण मान लिया जाएगा। वहीं, वन विभाग से नोटिस मिलने पर संत समाज में खासी नाराजगी देखी जा रही हैं।
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हरिद्वार, 24 मई (आईएएनएस)। उत्तराखंड में इन दिनों अवैध धार्मिक स्थलों पर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई जारी है। 20 अप्रैल से शुरू अतिक्रमण हटाओ अभियान में अब तक 429 अवैध मजार, 42 मंदिर और 2 गुरुद्वारे हटाए जा चुके हैं। 20 अप्रैल से अब तक 455 हेक्टेयर वन भूमि अतिक्रमणकारियों से मुक्त करा दिया गया है। साथ ही कुछ मंदिरों पर भी नोटिस चस्पा किया गया है। दरअसल, उत्तराखंड में सरकारी जमीनों से अवैध धार्मिक निमार्णों को हटाने की कार्रवाई जोर शोर से चल रही है। यह कार्रवाई सिर्फ मजारों पर नहीं की जा रही है बल्कि, मंदिरों पर भी कार्रवाई की जा रही है। जो अवैध रूप से सरकारी और वन भूमि पर बनाए गए हैं। इसी कड़ी में हरिद्वार के निरंजनी अखाड़े के मंदिर गौरीकुंड और राजाजी टाइगर रिजर्व की सीमा पर स्थित एक अन्य मंदिर पंचमुखी हनुमान मंदिर को लेकर वन विभाग ने नोटिस भेजा है। जिसमें मंदिर से संबंधित दस्तावेज दिखाने को कहा गया है। अन्यथा मंदिर को अतिक्रमण मान लिया जाएगा। वहीं, वन विभाग से नोटिस मिलने पर संत समाज में खासी नाराजगी देखी जा रही हैं।

देवभूमि उत्तराखंड में भगवान शिव कण-कण में विराजते हैं। लेकिन कुछ स्थान ऐसे हैं जिनका महत्व और मान्यता दशकों पुराना है। उन्हीं में से एक हरिद्वार के बिल्व पर्वत पर स्थित भगवान बिल्केश्वर धाम का मंदिर है। भगवान शिव का यह मंदिर बेलपत्र के नाम पर रखा गया है। इसी मंदिर से लगा हुआ एक कुंड है, जिसका नाम गौरीकुंड है।

बिल्केश्वर मंदिर की पौराणिक मान्यता:-

हरिद्वार रेलवे स्टेशन से लगभग 2 किमी की दूरी पर स्थित बिल्केश्वर मंदिर की मान्यता है कि भगवान शिव को पाने के लिए यहां माता पार्वती ने 3 हजार साल तपस्या की थी। स्कंद पुराण के मुताबिक, मात्र बेलपत्र खाकर माता पार्वती ने भगवान शिव को अपना पति स्वरूप पाने के लिए इस स्थान पर तपस्या की थी। जबकि मंदिर से ही सटे कुंड में स्नान करती थी। इसलिए इस कुंड का नाम गौरीकुंड पड़ा है। आज भी इस कुंड में जल निरंतर रहता है। मान्यता है कि जिस कन्या की शादी में अड़चन आती है, वह कन्या अगर 7 सोमवार इस कुंड में स्नान करे तो समस्या से मुक्ति पा लेती है। कुंड में चर्म रोग से ग्रसित लोग भी मुक्ति पाने के लिए स्नान करने पहुंचते हैं।

बिल्केश्वर मंदिर को लेकर जारी नोटिस में कहा गया है कि मंदिर से संबंधित लोगों के पास कागजात है तो वन विभाग के सामने पेश करें। बिल्केश्वर मंदिर के पुजारी शुभम गिरि का कहना है कि हरिद्वार एक धार्मिक नगरी है। जिसका वर्णन पौराणिक हिंदू धार्मिक पुस्तकों में भी है। हरिद्वार के कई स्थान जिसमें हर की पैड़ी, दक्ष प्रजापति मंदिर, सती कुंड अन्य मंदिर हैं। जिसमें गौरीकुंड मंदिर भी शामिल है। वहीं, गौरीकुंड को लेकर निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत रविंद्र पुरी ने कागज दिखाते हुए कहा कि उक्त संपत्ति से जुड़ा रजिस्ट्री उनके पास है। साल 1912 का नक्शा भी उनके साथ है। जिसमें बिल्केश्वर मंदिर समेत गौरीकुंड का भी नक्शा बना हुआ है।

बिल्केश्वर मंदिर गौरीकुंड निरंजनी अखाड़ा के अधीन आता है। मौजूदा समय में यह मंदिर बलबीर गिरि की देखरेख में चल रहा है। महंत नरेंद्र गिरि की हत्या के बाद बलवीर गिरि को इस स्थान पर बैठाया गया है। फिलहाल हरिद्वार का संत समाज और धार्मिक संगठनों से जुड़े लोग वन विभाग के नोटिस को सरासर गलत बता रहे हैं। लोगों का कहना है कि विभाग इस तरह की कार्रवाई करके एक तबके को संदेश देना चाहती है, जबकि ऐसे मंदिरों के ना केवल ग्रंथों में बल्कि कागजों में भी प्रमाण मौजूद हैं।

पंचमुखी हनुमान मंदिर की मान्यता:-

उधर दूसरी तरफ हर की पैड़ी से चंद कदम की दूरी पर रेलवे टनल के पास स्थित पंचमुखी हनुमान मंदिर पर भी वन विभाग की नजर है। यहां भी मंदिर से जुड़े व्यक्तियों को नोटिस दिया गया है। साथ ही कागजात पेश करने के लिए 4 दिन का समय दिया है। मंदिर से जुड़े मुख्य पुजारी राम बलवंत दास का कहना है कि उनके पास मंदिर से जुड़े लगभग 100 साल से अधिक के प्रमाण हैं। तीर्थ पुरोहित उज्‍जवल पंडित का कहना है कि मंदिर की धार्मिक मान्यता के मुताबिक, बाल रूप में हनुमान ने जब सूर्य देवता को मुंह में रख लिया था, तब उनको इंद्र ने वज्र से प्रहार किया था। इंद्र के प्रहार से बाल स्वरूप हनुमान यहीं आकर गिरे थे। पुरोहित उज्‍जवल पंडित कहते हैं कि किसी की धार्मिक आस्थाओं को इस तरह से आहत करना ठीक नहीं है।

इधर मंदिर पर नोटिस मिलने पर हरिद्वार विधायक मदन कौशिक का कहना है कि पंचमुखी हनुमान मंदिर को वन विभाग से जमीन को लीज पर लिया गया है। जिसकी समयावधि को बढ़ाए जाने पर वो खुद शासन से वार्ता करेंगे और जल्द ही इस पर फैसला ले लिया जाएगा।

वहीं डीएम धीराज सिंह गब्र्याल ने कहा कि अतिक्रमण पर कार्रवाई दोबारा की शुरू जाएगी। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि जो भी बाहरी व्यक्ति हरिद्वार में जमीन लेगा, उसका वेरिफिकेशन करने के बाद ही रजिस्ट्री की जाएगी।

राजाजी नेशनल पार्क के पूर्व निदेशक सनातन सोनकर कहते हैं कि उत्तराखंड में धार्मिक स्थलों का जंगलों में पाए जाना आम हो गया है। हां इतना जरूर है कि अब तेजी से कुछ धार्मिक संरचनाएं बढ़ी है। देहरादून और हरिद्वार के वन क्षेत्र में मस्जिद-मंदिर तेजी से बने हैं। वन क्षेत्र में पहले से भी कई बड़े मंदिर हैं जिनका प्रमाण सैकड़ों साल पुराना है। विभाग अमूमन उन्हीं को नोटिस देता है, जो प्रमाणित नहीं है।

अधिकारियों ने ये कहा:-

दोनों मंदिरों को नोटिस वन क्षेत्र अधिकारी विपिन डिमरी द्वारा जारी किया गया है। नोटिस मंदिर की दीवारों पर लगाया गया है। फिलहाल राजाजी नेशनल पार्क से जुड़े अधिकारी इस मामले पर ज्यादा कुछ नहीं बोल रहे हैं। उनका कहना है कि कार्रवाई के तहत नोटिस जारी किया है।

जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर प्रबोधानंद महाराज का कहना है कि उत्तराखंड एक देवभूमि है, जहां देवता वास करते हैं। अगर उनके स्थान पर मंदिर होने के सबूत मांगे जाएंगे तो यह निंदनीय है। जिसे संत समाज बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करेगा।

साथ ही युवा भारत साधु समाज के रविदेव शास्त्री ने कहा कि जिस मंदिर को लेकर वन विभाग ने नोटिस दिया है, वो प्राचीन काल से है। जिसका वर्णन पुरातन हिंदू पुराणों में भी है। अगर उस पर कार्रवाई की जाती है तो युवा भारत साधु समाज के संत मंदिरों के संरक्षण को आगे आएंगे।

--आईएएनएस

स्मिता/एएनएम